सावनको उर्लदो भेल भो जवानी
यात्रामा छुटेको रेल भो जवानी //1//
समाजको बन्धन सारै नै कडा
आफैलाई आज जेल भो जवानी //2//
कागलाई जस्तै मलाई नि उस्तै
रुखमा पाकेको बेल भो जवानी //3//
न जीत मेरो भो न हार भो मेरो
डन्डी र बियोको खेल भो जवानी //4//
भएन हिम्मत नाघ्न सिमा रेखा
न दिई परीक्षा फेल भो जवानी //5//