सीमा और सनी अच्छे दोस्त थे। आज नए साल की पार्टी में उनका घर परिवार के ढेर से दोस्तों और रिश्तेदारों से घर भरा हुआ था। पार्टी में नाच गाना था, खाना पीना था। हॉल में बड़े लोग थे और बच्चों का इंतज़ाम बगीचे में था।
सीमा और सनी भी एक गीत की धुन पर नाचने लगे। तभी सनी का पैर फिसला और वह गिर पड़ा। सीमा घबरा गई, उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। सनी रोने लगा था शायद उसे ज़ोर की चोट लगी थी। वह माँ को देखने हॉल की ओर दौड़ी।
हॉल में काफ़ी भीड़ थी। उस भीड़ में सीमा को अपनी माँ तो नहीं दिखीं पर शालू आंटी दिख गईं। सीमा ने शालू आंटी से पूछा,"आंटी सनी गिर गया है। उसके पैर में चोट लगी है। क्या आपने उसकी या मेरी माँ को देखा है?"
शालू आंटी बोलीं, "नहीं, देखा तो नहीं पर मैं उन्हें खोज कर यह बात बता देती हूँ। सीमा दौड़ कर सनी के पास वापस आई और उसने सोचा अब मुझे ही कुछ करना होगा।
उसने सनी को दिलासा देते हुए कहा, "रो मत सनी। अभी माँ आ जाएगी और फिर हम डाक्टर के पास चलेंगे। तुम तो मेरे बहादुर दोस्त हो। बहादुर बच्चे कभी नहीं रोते।" सीमा की ये बातें सुनकर सनी को बहुत अच्छा लगा।
तभी माँ आ गईं। पार्टी में जगन काका भी थे। वो डाक्टर हैं। सभी काका की क्लीनिक पर गए। काका ने सनी को देखा और बताया, "इसे ज़्यादा चोट नहीं आई है। बस एक बाम और यह बैंड एड।" फिर सब लोग पार्टी में आ गए।
लोग अभी भी नाच गा रहे थे। डाक्टर काका ने कहा सनी को दो तीन घंटे आराम करना चाहिए ताकि तकलीफ़ ना बढ़े। सीमा और सनी पास पड़ी कुर्सियों पर बैठ कर बातें करने लगे।