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Hindi Nepali Stories

hindi story हाती और चुहे

एक स्वच्छ मीठे पानी से भरी गहरी झील के किनारे एक सुंदर महल था । दिन बीतते गए, महल में रहने वाले लोग महल छोड़-छोड़ कर जाने लगे और एक दिन वही बड़ा महल टूट कर गिर गया । वह एक खंडहर बनकर रह गया । कुछ दिन पश्चात पास के जंगल में रहने वाले चूहों का समूह उस ध्वस्त महल के पास से गुजरा । थे उस जीर्ण-शीर्ण महल को देखकर बहुत खुश हुए । ‘अहा ! ये जगह हमारे रहने के लिए कितनी बढ़िया है’ : चूहों के सरदार ने कहा । यहां हम शांति से रह सकते है । शीघ्र ही चूहों ने महल के कोने-कोने में अपने घर बना लिए और आराम से वहां रहने लगे । एक दिन हाथियों का झुंड उधर से गुजरा । उनके साथ एक बहुत बड़ा हाथियों का सरदार भो था । उन्हें झील के स्वच्छ पानी की सुगंध आई । वे उत्साहित होकर पानी की तरफ भागे । वे भरपेट पानी पीना चाहते थे, इसलिए वे बड़ी शीघ्रता से महल के खंडहर के बीच में से भागे । ऐसा करने से बहुत से चूहे उनके पैरों तले आकर कुचले गए । कुछ मर भी गए । चूहे आराम से अपने घरों में सो रहे थे । इस आफत के आने पर बचे हुए सब चूहे इकट्ठे हुए और उन्होंने अपने को इस विपत्ति से बचाने के लिए उपाय खोजने के लिए सभा बुलाई । कुछ चूहों ने अपने सरदार से कहा : ‘ये बड़े जानवर अब बार-बार इस झील का पानी पीने के लिए यहां आएंगे । जितनी बार वे यहां आएंगे उतनी बार हममें से कितने ही उनके पैरों के नीचे दबकर मर जाएंगे और कितने कुचले भी जाएंगे । हम ये सब नहीं होने देना चाहते ।’ चूहों के सरदार ने उनकी बात मान ली । ‘पर इनसे लड़ा कैसे जाए । ये हमसे लड़ाई में कितने बलवान हैं । हम उनसे अच्छे व्यवहार और दया की प्रार्थना ही कर सकते हैं ।’ ऐसा विचार करके सारे चूहे एक कतार में होकर हाथीओं के सरदार से मिलने चल पड़े । हाथियों के सरदार ने ध्यान से उनकी बात सुनी । चूहों ने कहा : “हम आराम से वर्षों से इस टूटे-फूटे महल में रह रहे थे । आपके हाथियों के झुंड ने झील पर जाने के लिए हमें रौंद डाला । आपने सैकड़ों चूहों को मार डाला । अगर यही सब चलता रहा तो एक भी चूहा जिंदा न बचेगा । आप हम पर कृपा कीजिए और अपने हाथियों को किसी दूसरे रास्ते से झील पर ले जाएं । सरदार जी ! क्या मालूम हम छोटे प्राणी भी किसी दिन आपके काम आ जाएं ।’ बड़े हाथी का दिल चूहों की बात सुनकर पिघल गया । उसने कहा : ‘ठीक है, मेरे सारे साथी दूसरे रास्ते से झील पर जाया करेंगे । हमें पता नहीं था कि आप चूहों ने इस महल में अपने घर बना रखे हैं । अब हम तुम बिल्लकुल तंग नहीं करेंगे ।’ चूहे ये सब सुनकर बहुत खुश हुए और शांतिपूर्वक अपने-अपने घर चले गए । समय इसी प्रकार गुजरता रहा । एक दिन वहां के राजा ने हुक्म दिया कि सब हाथियों को जाल में बांधकर लाया जाए और उन्हें राजा का काम करने की शिक्षा दी जाए । राजा के आदमियों ने जंगल में जाकर सारे हाथियों के लिए जाल बिछा दिए । जब हाथी पानी पीने के लिए झील की तरफ चले, तब एक को छोड़कर सभी हाथी जाल में फंस गए । हाथी जोर-जोर से चीखने-चिंघाड़ने लगे । वे अपने आपको मोटी रस्सियों से छुड़ाने की कोशिश करने लगे, पर कुछ लाभ न हुआ । वे पक्की रस्सियों से बंधे थे । तब हाथियों के सरदार को महल के खंडहरों में रहने वाले चूहों की याद आई । उसने बचे हुए हाथी से कहा : ‘तुम जल्दी से चूहों के पास जाओ और उन्हें हमारी हालत बताओ । वे हमारी मदद कर सकते हैं । चूहों के सरदार से कहना कि मैंने तुम्हें भेजा है ।’ हाथी जल्दी ही चूहों के पास पहुंचा और उनके सरदार को सब हाथियों कि हालत का समाचार सुनाया । चूहों के सरदार ने सब चूहों को बुलवाया और हाथीओं को बचाने का कार्य सौंपा । चूहे हर एक कोने से निकल कर हजारों की संख्या में इकट्ठे हो गए । बड़े चूहे, छोटे चूहे, मोटे चूहे, पतले चूहे, बूढ़े दादा, भूरी मूछों वाले चूहे और छोटे ताकतवर चूहे सभी अपने नेता के साथ जल्दी-जल्दी जाल में फंसे हाथियों के झुंड के पास जाने को तैयार हो गए । शीघ्र ही सब चूहे अपने छोटे और नुकीले दांतो से मोटी रस्सियों को कुतरने लगे । जल्दी ही सारी रस्सियां टूटकर नीचे गिर गईं और हाथी आजाद हो गए । उन्होंने अपने छोटे मित्रों का धन्यवाद किया । फिर वे आराम से जंगल की ओर चले गए । हथियों के सरदार ने अपने सभी हाथियों को बुलाकर कहा : ‘देखो हम कितने बड़े और ताकतवर जानवर हैं, फिर भी हमें छोटे और विनम्र चूहों ने बचाया । उनकी एक बार सहायता करने से हमारा जीवन बच गया, अन्यथा हम सभी पकड़े जाते ।

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