• Follow Us on:
  • Facebook Logo
  • Tweeter Logo
  • linkedin logo

Hindi Nepali Stories

Hindi story गल्लू सियार का लालच

मल्लू और गल्लू सियार भाई-भाई थे। मल्लू सीधा-सादा और भोला था। वह बड़ा ही नेकदिल और दयावान था। दूसरी ओर गल्लू एक नम्बर का धूर्त और चालबाज सियार था। वह किसी भी भोले-भाले जानवर को अपनी चालाकी से बहलाकर उसका काम तमाम कर देता था। 

एक दिन गल्लू सियार जंगल में घूम रहा था कि उसे रास्ते में एक चादर मिली। जाड़े के दिन नज़दीक थे इसीलिए उसने चादर को उठाकर रख लिया। उसके बाद वह घर की ओर चल दिया। 

अगले दिन गल्लू सियार मल्लू के घर गया। ठण्ड की वजह से दरवाजा खोला लेकिन जैसे ही गल्लू अन्दर जाने लगा, तो मल्लू ने दरवाजा बन्द कर लिया। गल्लू को अपने भाई की यह हरकत बहुत बुरी लगी। उसे अपने भाई पर बड़ा क्रोध आया।

भाई के घर से आने के बाद गल्लू नहाने के लिए नदी पर गया। उसको देखकर बड़ा आश्चर्य हो रहा था कि आज सारे मोटे-मोटे जानवर बड़े बेफिक्र होकर बिना किसी डर के उसके पास से गुजर रहे थे। उसके पानी में घुसने से पहले जैसे ही चादर को उतारा, उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। सारे छोटे-मोटे जानवर अपनी-अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। चारों ओर हाहाकार मच गया। गल्लू को लगा कि जरूर इस चादर का चमत्कार है। उसके मन में विचार आया कि कहीं यह जादुई तो नहीं। जिसको ओढ़ते ही वह अदृश्य हो जाता हो। तभी उसे याद आया कि मल्लू ने भी दरवाजा खटखटाने की आवाज सुनकर दरवाजा खोला और एकाएक बन्द भी कर लिया, मानो दरवाजे पर कोई हो ही नहीं। 

अब उसका शक यकीन में बदल गया और उसे मल्लू पर किसी तरह का क्रोध भी नहीं रहा। वह नहाकर जल्दी से जल्दी अपने भाई मल्लू सियार के पास पहुँचना चाहता था। अत: लम्बे डग भरता हुआ उसके घर जा पहुँचा। उसने मल्लू को वह चादर दिखाई और प्रसन्न होते हुए बोला --

"देखो भाई, इस जादुई चादर को ओढ़ते ही ओढ़ने वाला अदृश्य हो जाता है। मैंने सोच है कि क्यों न इसकी मदद से मैं जंगल के राजा को मारकर खुद जंगल का राजा बन जाऊँ। अगर तुम मेरा साथ दोगे तो मैं तुम्हें महामंत्री का पद दूंगा।

"भाई गल्लू, मुझे महामंत्री पद का कोई लालच नहीं। यदि तुम मुझे राजा भी बना दोगे तो भी मैं नहीं बनूँगा क्योंकि अपने स्वामी से गद्दारी में नहीं कर सकता। मैं तो तुम्हें भी यही सलाह दूंगा कि तुम्हें इस चादर का दुरूपयोग नहीं करना चाहिए।" 

"अपनी सलाह अपने पास ही रखो। मैं भी कितना मूर्ख हूँ जो इस काम में तुम्हारी सहायता लेने की सोच बैठा," गुस्से में भुनभुनाते हुए गल्लू सियार वहाँ से चला गया पर मल्लू सोच में डूब गया। 

"अगर गल्लू जंगल का राजा बन बैठा तब तो अनर्थ हो जाएगा। एक सियार को जंगल का राजा बना देखकर पड़ोसी राजा हम पर आक्रमण कर देगा। शक्तिशाली राजा के अभाव में हम अवश्य ही हार जायेंगे और हमारी स्वतंत्रता खतरे में पड़ जाएगी। यह सोच कर मल्लू सियार सिहर उठा और उसने मन ही मन गल्लू की चाल को असफल बनाने की एक योजना बना डाली। 

रात के समय जब सब सो रहे थे तब मल्लू अपने घर से निकला और चुपचाप खिड़की के रास्ते गल्लू के मकान में घुस गया। उसने देखा कि गल्लू की चादर उसके पास रखी हुई है। उसने बड़ी ही सावधानी से उसको उठाया और उसके स्थान पर वैसी ही एक अन्य चादर रख दी जो कि बिल्कुल वैसी थी। इसके बाद वह अपने घर आ गया। 

सुबह उठकर नहा-धो कर गल्लू सियार शेर को मारने के लिए चादर ओढ़कर प्रसन्नतापूर्वक उसकी माँद की ओर चल पड़ा। आज उसके पाँव धरती पर नहीं पड़ रहे थे। आखिर वह अपने को भावी राजा समझ रहा था। माँद में पहुँचकर उसने देखा कि शेर अभी सो रहा था। गल्लू ने गर्व से उसको एक लात मारी और उसको जगा कर गालियाँ देने लगा। शेर चौंक कर उठ गया। वह भूखा तो था ही, उपर से गल्लू ने उसको क्रोध भी दिलाया था, सो उसने एक ही बार में गल्लू का काम तमाम कर दिया। 

मल्लू सियार को जब अपने भाई की यह खबर मिली तो उसको बड़ा दुख हुआ पर उसने सोचा कि इसके अलावा जंगल की स्वतंत्रता को बचाने का कोई रास्ता भी तो नहीं था। उसकी आँखों में आँसू आ गए, वह उठा और उसने उस जादुई चादर को जला डाला ताकि वह किसी और के हाथ में न पड़ जाए। 

मल्लू ने अपने भाई की जान देकर अपने राजा के प्राण बचाए थे और जंगल की स्वतंत्रता भी।

ad imagead image
ad imagead imagead imagead image ad imagead imagead imagead imagead image