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Hindi Nepali Stories

hindi story गवैया गधा

Hindi Nepali Stories hindi story गवैया गधा किसी धोबी के पास एक गधा था । गधा आ हो चुका था । दिनभर तो वह धोबी के कपड़े ढोया करता और रात होने पर जब उसका मालिक उसे खुला छोड़ देता, तो वह मनमाने ढंग से इधर-उधर घूमा करता । सुबह होने पर वह स्वयं ही धोबी के घर पहुंच जाता था । एक रात उस गधे की मुलाकात एक गीदड़ से हो गई । दोनों साथ-साथ रहने लगे । शीघ्र ही दोनों में मित्रता हो गई । शीघ्र ही दोनों में मित्रता हो गई । गधे के साथ अब गीदड़ भी खेतों में जाने लगा । गधे ने एक किसान की बाड़ी में ककडियां, तरबूज आदि लगे हुए देख लिए थे । वह रात को चुपके से बाड़ी में पहुंचता और पेटभर कर स्वादिष्ट ककड़ियों का आनंद उठाता । जब गीदड़ से मित्रता हो गई तो वह गीदड़ को भी अपने साथ ले जाने लगा । कई दिनों तक दोनों का यही क्रम चलता रहा । एक रात गधे ने पहले तो पेट ऋ, भरकर ककडिया खाई, फिर उसे मस्ती सूझने लगी । वह गीदड़ से बोला : ‘मित्र देखो ! आज कितनी सुहावनी रात है । चंद्रमा चमक रहा है, ठंडी-ठंडी हवा बह रही है । खेतों से कितनी मीठी-मीठी सुगंध उठ रही है । ऐसे में मेरा मन गाने को कर रहा है ।’ ‘नहीं मित्र ! ऐसा अनर्थ मत करना ।’ गीदड़ जल्दी से बोला : ‘बेकार ही आपत्ति को निमंत्रण नहीं देना चाहिए । हम यहां चोरी करने आए हैँ । चोरों और व्यभिचारियों को तो स्वयं को छिपाकर ही रखना चाहिए । वैसे भी तुम्हारी आवाज बहुत रूखी है । खेत के मालिक ने सुन लिया, तो वह जान जाएगा । फिर या तो तुम्हें बांध देगा या पीट-पीट कर मार डालेगा । बेकार के गायन के चक्कर में मत पड़ो ।’ गधा अकड़कर बोला : ‘तुम तो जंगली हो, तुम्हे भला संगीत का ज्ञान कहां ?’ ‘शायद तुम ठीक कहते हो ।’ गीदड़ बोला: ‘किंतु गाना तुम्हें भी कहां आता है, मित्र!’ गीदड़ के बार-बार समझाने पर भी जब गधा नहीं माना, तो गीदड़ बोला : ‘ठीक है मित्र ! तुम गाना चाहते हो तो शौक से गाओ, लेकिन कुछ देर वाद गाना । तब तक मैं खेत की मेंड़ पर बैठकर खेत के मालिक पर नजर रखता हूं ।’ आया एक अक्षत स्थान पर आकर गया । गीदड़ के जाते ही गधे ने रेंकना शुरू कर दिया । उसकी ढेंचू-ढेंचू की आवाज सुनकर खेत का मालिक जाग गया । वह लाठी उठाकर गधे की ओर दौड़ पड़ा । उसने क्रोध में आकर गधे की पीठ पर इतनी लाठियां बरसाईं कि गधे की पीठ टूट गई और वह भूमि पर गिरकर लंबी-लंबी सांसें लेने लगा । किसान ने उसके गले में एक भारी-सी ऊखल बांध दी और वापस जाकर आराम से सो गया । किसान के जाते ही गधा उठा और लंगड़ाता हुआ मार की पीड़ा झेलता हुआ किसी तरह ऊखल लटकाए खेत से बाहर निकल आया । उसकी ऐसी हालत देखकर गीदड़ खिल-खिलाकर हंस पड़ा । बोला : ‘वाह मित्र, वाह ! तुम्हारे गायन से खुश होकर किसान ने कितना शानदार पुरस्कार इनाम में दिया है ।’ ‘अब और शर्मिंदा मत करो मित्र’, गधे ने झेंपते हुए कहा: ‘मैंने तुम्हारी सलाह नहीं मानी, उसी की यह सजा मुझे मिली है । अब से भविष्य में यदि कोई अच्छी सलाह देगा, तो मैं उस पर जरूर अमल करूंगा ।’

 

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